एक व्यक्ति को अपने जीवन में पेशाब से जुड़ी कई समस्याएं होती है। यूटीआई बीमारी सामान्य से लेकर अधिक गंभीर भी हो सकती है। यूटीआई पेशाब से जुड़ी सबसे सामान्य समस्या है। यह मूत्र में संक्रमण जिसे हम यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन यानी यूटीआई कहते हैं। या भले ही पेशाब से जुड़ी एक सामान्य समस्या क्यों ना हो लेकिन आज भी लोग इस बारे में बहुत कम जानते हैं कि यह बीमारी होने का सबसे बड़ा कारण क्या है। आज हम आपको इस आर्टिकल में यूटीआई संबंधी पूरी जानकारी देंगे।
क्या होता है यूटीआई (What is UTI)
यूटीआई मतलब यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन ,यह एक आम बीमारी है। लेकिन काफी घातक बीमारी मानी जाती है। यह बीमारी महिलाओं और पुरुषों दोनों में होती है। यह बीमारी तब होती है। जब ई कोलाई बैक्टीरिया मूत्र प्रणाली को संक्रमित कर देता है। इसका असर किडनी के साथ-साथ ब्लैडर और इससे जुड़ी तमाम नालिकाओं में पड़ता है। यह बीमारी महिलाओ में भी होती है। इस बीमारी को कई बार महिलाएं सीरियस नहीं लेती। जिससे इंफेक्शन किडनी में फैल जाता है। और रोगी इसका शिकार बन जाता है। महिलाओं में मासिक धर्म और प्रसव के दौरान इसकी चिंता ज्यादा बढ़ जाती है। अगर सामान्य भाषा में समझे तो यूटीआई तब होता है। जब मूत्राशय और इसकी नली बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाती है। ई कोलाई बैक्टीरिया का संक्रमण इसका मूल कारण होता है। इस समस्या के कुछ कारण निम्न है जैसे लंबे समय तक सेक्स करना, रजोनिवृत्ति और शुगर आदि। मूत्र इंफेक्शन के संक्रमण पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होते हैं।
क्यों होता है यूटीआई
वैसे तो यूटीआई का संक्रमण ई कोलाई बैक्टीरिया के कारण होता है। लेकिन इसके अलावा और भी कारणहै। जो निम्न प्रकार है।
- यदि संभोग अधिक और तीव्र गति से किया जाए तो यूटीआई हो सकता है।
- संभोग एक से अधिक लोगों के साथ किया जाए तो यूटीआई हो सकता है।
- शुगर के रोगियों को यूटीआई होने का खतरा अधिक रहता है।
- अस्वच्छ रहने की आदत यूटीआई इनफेक्शन को बढ़ाती है।
- मूत्राशय को पूरी तरह खाली न करना यूटीआई इंफेक्शन का कारण बनता है।
- लगातार दस्त , पेशाब में बाधा उत्पन्न होना ,पथरी होना, गर्भनिरोधक का अत्यधिक उपयोग करना , यूटीआई का मुख्य कारण है।
- रजोनिवृत्ति काल में अधिक हस्तमैथुन करना
- कमजोर प्रतिरोधक प्रतिरक्षा प्रणाली , एंटीबायोटिक दवाई लेने , लगातार सेक्स के बारे में सोचते रहना इसका मुख्य कारण बनता है। अगर इस बीमारी का सही तरीके से इलाज ना कराया गया तो किडनी फेल हो सकती है। क्योंकि किडनी में बैक्टीरिया पहुंचकर नुकसान पहुंचाते हैं। और कार्य क्षमता को नष्ट कर देते हैं। जिसके बाद किडनी फेल हो जाती है। और पेशाब को फिल्टर नहीं कर पाती। यूटीआई इन्फेक्शन खून के जरिए दूसरे अंगों में भी पहुंच सकती है। यूटीआई मुख्य रूप से ई कोलाई बैक्टीरिया से होता है।
क्या है यूटीआई के लक्षण
वैसे तो यूटीआई की समस्या होने से सबसे पहले मूत्र संबंधी समस्याएं होती हैं। लेकिन इसके अलावा और भी लक्षण हैं।
- मूत्र में संक्रमण होने पर मूत्रमार्ग और मूत्राशय की परत पर सूजन आ जाना।
- पेशाब करते समय दर्द और जलन महसूस होना।
- बार-बार पेशाब करने के लिए उठना बहुत कम मात्रा में मूत्र करना।
- बार बार पेशाब जाना ।
- रास्ते में पेशाब छूट जाना।
- एकदम पेशाब हो जाना,और डर लगना।
- पेशाब से बदबू आना
*पेशाब से खून आना
*पेशाब के निचले हिस्से में दर्द होना
*हल्का बुखार आना
*ठंड लगना ,कभी-कभी ठंड के साथ बुखार आना
*जी मचलाना
*छोटे बच्चों में बुखार, पीलिया उल्टी दस्त और *चिड़चिड़ापन होना
*बुजुर्गों में भूख न लगना, बुखार आना ,सुस्ती रहना ,मूड बदलना ,पेशाब में सफेदी ,आना खुलकर पेशाब ना होना, रुक रुक कर पेशाब आना।
UTI से किसे होता है ज्यादा खतरा
सेक्सुअली एक्टिव महिलाओं में इसका ज्यादा अधिक खतरा होता है। मतलब जो महिला सेक्स ज्यादा करती है। उन्हे यूटीआई जल्दी हो जाती है। कम पानी पीने की वजह से भी यह बीमारी होने लगती है। दिन में कई बार नहाने वालों को यह बीमारी होती है। साथ ही देर तक पेशाब रुके रहने वालों को बीमारी ज्यादा होती है। कुछ ऐसा ही पुरुषों में भी होता है। पुरुष लगातार हस्तमैथुन करते हैं। जिसके कारण यूटीआई का खतरा बढ़ जाता है। पेनिस में किसी प्रकार की चोट आने से यूटीआई इंफेक्शन का खतरा बढ़ता ह। यह बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है। कई बार गर्भावस्था के बाद यूटीआई की समस्या अधिक बढ़ जाती है।
यूटीआई इनफेक्शन से बचाव कैसे करें
यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन होने पर जीवन शैली और आहार में कुछ बदलाव लाने पर इस बीमारी से कुछ हद तक बचा जा सकता है।
- अधिक से अधिक पानी पीने और मूत्र त्याग करने की आदत डालनी चाहिए।
- शराब और कैफीन के सेवन से दूर रहना चाहिए यह मूत्राशय में संक्रमण पैदा करती है।
- संभोग के तुरंत बाद मूत्र त्याग करना चाहिए।
- जननांगों में साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
- नहाने के लिए बाथ टब का उपयोग करने से बचे।
- महामारी के दौरान सेनेटरी पैड का उपयोग करें।
जन्म नियंत्रण बनाए रखने के लिए शुक्राणु नाशकों का उपयोग ना करें।
- जननांगों में किसी भी प्रकार के सुगंधित उत्पादों का उपयोग न करें।
- कॉटन के अंडरवियर ही पहनें।
- यूटीआई को नियंत्रित करने में योगासन लाभकारी होता है। इसलिए पेल्विक एक्सरसाइज करें यह मांसपेशियों को मजबूत करता है।
- कीगल एक्सरसाइज लाभदायक है।
- योग के लिए पद्मासन ,वज्रासन ,भुजंगासन रोजाना 30 मिनट तक करें।
- रोजाना कम से कम 2 किलोमीटर पैदल चले।
यूटीआई होने पर क्या खाएं क्या ना खाएं
यूटीआई होने पर खान-पान का अधिक ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि खानपान में यूटीआई संक्रमण को दूर किया जा सकता है। निम्न बातों पर ध्यान दें।
- बादाम ,ताजा नारियल, स्प्राउट्स ,अलसी के बीज, बिना नमक का मक्खन ,दूध ,अंडा ,मटर, आलू ,लहसुन सादा दही ,भूरा चावल, फल और सब्जियों का सेवन करें।
- कच्ची सब्जियां जैसे गाजर ,नींबू ,ककड़ी ,खीरा, मूली, और पालक का रस पिएं।
- उच्च फाइबर वाले आहार जैसे फलियां , जड़ वाली सब्जियां खाएं।
- टमाटर और टमाटर से बने उत्पाद को खाएं।
- चॉकलेट इत्यादि का सेवन ना करें।
- चाय कॉफी और कैफीन युक्त आहार से दूर रहे।
- मसालेदार आहार और पेय पदार्थ के सेवन से दूर रहें।
- मांस ,मछली ,मदिरा से दूर रहें।
क्या है यूटीआई इन्फेक्शन के घरेलू उपचार
यूटीआई की समस्या से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्खे को ही अपनाया जाता है। यहां हम आपको कुछ घरेलू नुस्खे के बारे में बता रहे हैं इन पर ध्यान दें।
नारियल का पानी : यूटीआई संक्रमण के दौरान नारियल का पानी पीने से जलन में राहत मिलती है। इसके अलावा यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है।
छाछ : यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन होने पर शरीर में न केवल पेशाब करते हुए जलन होती है बल्कि पूरे शरीर में भी जलन होती है। ऐसे में दोनों ही जल्दी छुटकारा पाने के लिए छाछ सेवन करना चाहिएm छाछ का सेवन सिर्फ दिन में ही करें। इससे शरीर में तरल उत्पाद की मात्रा में वृद्धि होगी और पेशाब खुलकर होगी।
अधिक पानी : पेशाब से जुड़ी किसी भी समस्या से छुटकारा पाने के लिए सामान्य से ज्यादा पानी पीना चाहिए। इससे शरीर में होने वाली पानी कमी नहीं होती। और खुलकर पेशाब होती है। और अंदर पनप रहे तमाम प्रकार के बैक्टीरिया पेशाब के जरिए बाहर निकल आते हैं और से शरीर स्वस्थ रहता है पेट में दर्द नहीं होता व्यक्ति को रोजाना 3 लीटर पानी पीना चाहिए।
कच्चे दूध की लस्सी : इस संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए रोगी को कच्चे दूध की बनी लस्सी में छोटी इलायची का पाउडर मिलाकर सुबह-शाम लेना चाहिए। इससे रोगी को जल्द ही जल्द आराम मिलेगा। साथ दवाओं का सेवन भी किया जा सकता है।
गन्ने का रस : यूटीआई संक्रमण होने पर गन्ने का रस पीने से जीवाणु खत्म होते हैं। क्योंकि गन्ने का रस पेट साफ करने में मदद करता है। ध्यान रहे गन्ने का रस ताजा होना चाहिए।
पेठा और आंवले का मुरब्बा : इस गंभीर संक्रमण के दौरान पेठा और आंवले का मुरब्बा का सेवन लाभदायक माना जाता है। इसे भोजन में शाम के समय करना चाहिए। इससे जलन और दर्द में राहत मिलती है। ध्यान रहे अगर किसी रोगी को संक्रमण के साथ मधुमेह है तो इसका सेवन न करें।
खट्टे फल : यूटीआई होने पर रोगी को खट्टे फल का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे लोगों में तेजी से आराम मिलता है। खट्टे फलों में आप कोई मौसमी अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
यूटीआई होने पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
- चीनी और चीनी से बने उत्पादों से दूर रहना चाहिए मीठी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे संक्रमण अधिक बढ़ता है।
- मिर्च मसालों और तले हुए भोजन से दूर रहना चाहिए। यह पेशाब में जलन और दर्द को बढ़ाता है।
- चटनी, अचार यूटीआई रोगी को नहीं देना चाहिए इस संक्रमण बढ़ता है।
- शुगर रोगी को गन्ने का रस का सेवन करना चाहिए। लेकिन गुड़ के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि गुड़ की तासीर गर्म होती है। और रोगी की समस्या बढ़ सकती है।
- यूटीआई रोगी को चाय कॉफी का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह मूत्राशय में बेचैनी खुजली आदि को कर सकता है और दर्द भी बढ़ा सकता है।
- धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए।
निष्कर्ष
यूटीआई पुरुषों के अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होता है। इस लिहाज से महिलाएं इस बीमारी से जल्दी ग्रसित होती है। और खतरा भी अधिक होता है। अगर आपको यूटीआई से जुड़े किसी भी प्रकार के लक्षण नजर आएं तो आप इसे नजरंदाज ना करें। बल्कि घरेलू उपाय कर ठीक कर सकते है। अगर फिर भी राहत ना मिले तो यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर को तुरंत दिखाएं । हमने आपको यूटीआई बीमारी से जुड़ी पूरी जानकारी इस आर्टिकल में दी है। उम्मीद है आप संतुष्ट होंगे।