Pancreatic Cancer in Hindi: दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है। समान्य तौर पर कैंसर कई तरह का होता है। हमारे शरीर में बहुत से अंग होते हैं जिनमें अलग-अलग कैंसर और उसके प्रकार , लक्षण सब अलग होते हैं। कैंसर का पता लगाने के लिए डॉक्टर तरह-तरह की उपकरण का उपयोग करते हैं। कई बार कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाता है। यदि किसी व्यक्ति को कैंसर होता है। तो इसका इलाज जल्दी कराना चाहिए। नहीं तो इसके बुरे परिणाम देखने को मिलते है। आज हम आपको अग्नाशय कैंसर के बारे में बताएंगे। अग्नाशय कैंसर क्या है क्यों होता है कारण लक्षण और उपचार की पूरी जानकारी देंगे।
अग्नाशय क्या है (What is Pancreatic in Hindi)
अग्नाशय कैंसर समझने से पहले यह समझे कि अग्नाशय क्या है। अग्नाशय पीठ के पीछे स्थित एक अंग है। अग्नाशय में कई ग्रंथियां होती हैं। जो इंसुलिन और ग्लूकोगन जैसे एंजाइम उत्पन्न करती हैं। इंसुलिन और ग्लूकोगन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह एंजाइम भी पैदा करता है। जो पाचन में सहायता करता है। अग्नाशय में एक्सोक्राइन अग्नाशय और अंतः स्रावी अग्नाशय होते हैं। एक्सोक्राइन कोशिकाएं पाचक रस बनाती हैं। आपको बता दें कि अंतः स्रावी अग्नाशय कैंसर तब होता है। जब अग्नाशय ही कोशिकाओं के डीएनए परिवर्तन से निरंतर कोशिका विभाजन होता है। इसलिए यह कोई इश्क में अनियंत्रित रूप से भरने लगती हैं जिसके परिणाम स्वरूप कोशिकाओं का एक द्रव्यमान होता है। कभी-कभी वृद्धि गैर कैंसर युक्त हो सकती हैं। अनियमित बढ़ती हुई कोशिकाएं से रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं। जिससे अग्नाशय के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
अग्नाशय कैंसर क्या है ( Pancreatic Cancer in Hindi)
अग्नाशय कैंसर जिसे हम पेनक्रिएटिक कैंसर भी कहते हैं। अग्नाशय कैंसर व स्थित होती है जिसमें अग्नाशय ऊतक में कैंसर कोशिकाएं होती हैं। अग्नाशय पीठ के पीछे उदर गुहा में मौजूद एक अंग है। अग्नाशय से पाचन रस इंसुलिन और अन्य हार्मोन सहित विभिन्न रसायनों का स्त्राव करता है। जो पाचन में सहायता करता है। साथ ही रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है। अग्नाशय के किसी भी हिस्से में कैंसर कोशिका हो सकती हैं। अग्नाशय में कैंसर के विकास का सबसे अहम हिस्सा ट्यूब की परत होती है। जो पाचन रस को अग्नाशय से पाचन तंत्र तक ले जाती है।
अग्नाशय के कैंसर के लक्षण (Symptoms of Pancreatic Cancer in Hindi)
अग्नाशय कैंसर के निदान करना मुश्किल है। क्योंकि लक्षण अक्सर कुछ चरणों के बाद देखे जाते हैं जो इस प्रकार दिखते है।
पेट और पीठ में दर्द होना
अग्नाशय के कैंसर के कारण पेट और पीठ में दर्द होता है। कैंसर के कारण अग्नाशय के आकार में वृद्धि आसपास के अंगों में दबाव बनाती है। जिसके परिणाम पेट में अधिक दर्द होता है। अग्नाशय पास की नसों को भी संकुचित करता है जिससे दर्द और बढ़ता है।
पीलिया
अग्नाशय का सिर पित्त नली के पास मौजूद होता है पीलिया अग्नाशय के कैंसर का प्रारंभिक चरण का लक्षण होता है। यदि यह अग्नाशय के सिर में होता है या कैंसर अग्नाशय की पूंछ और सिर्फ शरीर में शुरू होता है। तो पीलिया कैंसर दूसरा चरण होता है। अग्नाशय पित्त नली को काफी तेजी से संकुचित करता है। जिसके परिणाम स्वरूप रुकावट होती है।
पित्ताशय की थैली बढ़ना
अग्नाशय कैंसर पित्ताशय की थैली या यकृत के बढ़ने के कारण होती है। जब कैंसर पित्त नली को अवरुद्ध करता है। तो पित्त पित्ताशय की थैली में जमा हो जाता है। जिससे पित्ताशय की थैली बढ़ जाती है।
मधुमेह
अग्नाशय में इंसुलिन स्रावित कोशिकाएं होती हैं। जब कैंसर इन कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। तो रोगी को मजबूती लक्षणों का अनुभव होता है। जैसे बाल झड़ना, अधिक प्यास लगना ,भूख कम लगना आदि।
जी मिचलना उल्टी आना
अग्नाशय में कैंसर के कारण भी पेट में समस्या होती है। इससे रोगी को मतली और उल्टी आने का आभास होने लगता है। साथ ही रोगी को पेट दर्द की शिकायत बनी रहती है। जो खाने के बाद तेज हो जाती है।
रक्त का जमना
अग्नाशय के कैंसर के कुछ मामलों में रक्त के थक्के का जमना कैंसर का पहला संकेत है। रक्त का थक्का आमतौर पर पैरों में होता है। कभी-कभी रक्त थक्का फेफड़ों में तक जमा हो जाता है। जिससे श्वसन संबंधी समस्या होती हैं।
अग्नाश्य कैंसर के कितने चरण होते है (Stages of Pancreatic Cancer in Hindi)
अग्नाश्य कैंसर के निम्न चरण इस प्रकार है।
पहला चरण : इस चरण में कोशिकाएं अग्नाश्य में स्थित होती है। और वृद्धि करना शुरू कर देती है।
दूसरा चरण : इस चरण में कैंसर कोशिकाएं फैलती है। और आसपास के अंगों को प्रभावित करती है। जिससे अन्य समस्या होने लगती है।
तीसरा चरण : इसमें कैंसर कोशिकायें रक्त कोशिका और लिंफ नोडस को प्रभावित करती है।
चौथा चरण : यह अंतिम चरण होता है। इसमें कोशिकाएं लिवर और उदर गुहा में फैलती है।
अग्नाशय कैंसर के होने क्या कारण है
अग्नाश्य होने के निम्न कारण इस प्रकार है।
- पित्ताशय में पथरी होना
- शराब का अधिक सेवन करना
- व्यक्ति की 70 वर्ष से अधिक आयु होना
- पेट की सर्जरी होना
- अनुवांशिक लक्षण
- कैल्शियम का उच्च स्तर होना
- चोट लगना
- मोटापा
- मधुमेह
ऐना से अग्नाशय कैंसर का निदान क्या है
कीमोथेरेपी
- कीमोथेरेपी दवाओं के उपयोग करना इससे कैंसर कोशिकाओं समाप्त हो जाती है।
- इन दवाओं को नस में इंजेक्ट किया जाता है। साथ ही इन्हें खाया भी जाता है।
- कीमो थेरेपी का उपयोग विकिरण चिकित्सा के संयोजन में भी किया जाता है। विकिरण के साथ संयुक्त कीमोथेरेपी कैंसर का इलाज करने में मदद करती है। जो अग्नाशय से परे अंगों पर नहीं फैलता।
- कुछ मामलों में ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए सर्जरी से पहले विकिरण के साथ संयोजन में कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। ताकि ट्यूमर को आसानी से हटाया जा सके।
- कीमोथेरेपी का उपयोग कैंसर के विकास को नियंत्रित करने , लक्षणों को दूर करने और लंबे समय तक जीने के लिए किया जाता है।
रेडियोथैरेपी
- रेडियोथेरेपी का उपयोग ट्यूमर के आकार को कम करने और दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है।
- रेडियोथेरेपी में उच्च ऊर्जा विद्युत चुंबकीय तरंगों का उपयोग किया जाता है।
सर्जरी
- कैंसर को सर्जरी है की मदद से पूरी तरह हटा दिया जाता है।
- सर्जरी सभी मामलों में 15 से 20% तक की जाती है।
- अगर ट्यूमर रक्त कोशिकाओं में फैल गया है। तो यह शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में कैंसर सर्जरी फायदेमंद नहीं होती।
- अग्नाशय के एक हिस्से या पूरे अग्नाशय को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी को पैनक्रिकटोमी रूप में जाना जाता है।
- यदि ट्यूमर अग्नाश्य के सिर में स्थित है। तो अन्य तरीके से सर्जरी की जाती है।
लक्षित चिकित्सा
- यह विधि विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करने या मारने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है।
- इस थेरेपी में उपयोग की गई दवाएं स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान हो जाती है।
अग्नाश्य कैंसर उपचार की जटिलताएं क्या है
अग्नाश्य कैंसर की जटिलताएं निम्न है।
- थकान होना
- बालों का झड़ना
- दस्त आना
- कब्ज होना
- संक्रमण होना
- मुंह में छाले होना
- पैर सुन्न होना
- झुनझुनी होना
- भूख कम लगना
- त्वचा का लाल होना
- नाखून के आस पास सूजन होना
- त्वचा में परिवर्तन होना
अग्नाशय कैंसर का परीक्षण कैसे किया जाता है
अंडाशय कैंसर का परीक्षण डॉक्टर निम्न तरीके से करते है।
- सीटी स्कैन
- एमआरआई
- शारीरिक परीक्षण
- चिकित्सक इतिहास
- अल्ट्रासाउंड
- बायोप्सी द्वारा
अग्नाशय कैंसर होने पर क्या खाना चाहिए, क्या नहीं
- लहसुन पैंक्रियाज के लिए बहुत अच्छा होता है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते है। यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखता है।
- पानी की कमी से अग्नाश्य में सूजन आने लगती है। इसलिए अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए।
- हरे पत्तेदार सब्जियां और फाइबर युक्त पदार्थ खाने चाहिए।
- अंडा , मछली का सेवन कर सकते है।
- ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं।
- खीरा, तरबूज, कीवी, स्ट्राबेरी अग्नाश्य कैंसर रोगी के लिए उपयोगी है।
- चाय, कॉफी, केक आदि से बचना चाहिए।
- अधिक मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए।
- जंक फूड जैसे पिज्जा, पाश्ता, मैक्रोनी, मैगी, बर्गर, फिंगर, मोमोज आदि से परहेज करना चाहिए।
- देर रात में कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष
कैंसर किसी भी प्रकार का हो खतरनाक होता है। अग्नाश्य कैंसर जो पेट से जुड़ा होता है। यह व्यक्ति के लिए अधिक खतरनाक होता है। इस प्रकार के कैंसर का इलाज संभव है। अगर सही समय पर लक्षणों को पहचाना गया। कई बार अग्नाश्य कैंसर दवाओं के जरिए ही ठीक हो जाता है। तो कई बार सर्जरी कर ठीक किया जाता है। हमने आपको इस आर्टिकल में अग्नाश्य कैंसर से जुड़ी पूरी जानकारी दी। उम्मीद है आपको पसंद आई होगी।